Friday, April 8, 2016

मैंने पूछा चाँद से

मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं मेरा यार सा हसीं
चाँद ने कहा चांदनी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से
मैंने यह हिजाब तेरा ढूंढा हर जगह शबाब तेरा ढूंढा
कलियों से मिसाल तेरी पूछी फूलो ने जवाब तेरा ढूंढा
मैंने पूछा बाग़ से फलक हो या जमीं ऐसा फूल है कही
बाग़ ने कहा हर काली की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से

हो चाल है के मौज की रवानी जुल्फ है के रात की कहानी
होठ हैं के आईने केवल के आँख है के मयकदो  की रानी
मैंने पूछा जाम से फलक हो या जमीं ऐसी 
मय  भी है कहीजाम ने कहा महकशी की कसम नहीं नहीं नहीं
खूबसूरती जो तूने पाई लूट गयी खुदा की बस खुदाई 
मीर के गझल कहु तुझे मैं या कहु खैय्याम की रुबाईमैं जो पूछूं शायरो से ऐसा दिल नशि कोई शेर है कही
शायर कहे शायरी की कसम नहीं नहीं नहीं

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