Wednesday, April 20, 2016

बार बार दिन ये आये

बार बार दिन ये आये, बार बार दिल यह गाये 
तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी आरज़ू है
बेक़रार होके दामन, थाम लूँ मैं किसका 

क्या मिसाल दूँ मैं तेरी, नाम लूँ मैं किसका
नहीं, नहीं, ऐसा हसीं, कोई नहीं है
जिस पे  ये नज़र रुक जाये, बेमिसाल जो कहलाये
तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी आरज़ू है

औरों की तरह कुछ मैं भी, तोह्फ़ा ले आता 
मैं तेरी हसीं महफ़िल में, फूल ले के आता
जि  ने कहा उसे क्या है, फूलों की ज़रूरत
जो पहर खुद कहलाये, हर कली का दिल धड़काये
तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी आरज़ू  है

फूलों  ने  चमन  से  तुझको  है  सलाम  भेजा  
तारों  ने  गगन  से  तुझको  ये  पयाम  भेजा
दुआ  है  ये  खुदा  करे  ए  शोख  तुझको
चाँद  की  उम्र  लग  जाए
आये  तो  क़यामत  आये
तू जिये हज़ारों साल, यह मेरी आरज़ू है

Friday, April 8, 2016

मैंने पूछा चाँद से

मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं मेरा यार सा हसीं
चाँद ने कहा चांदनी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से
मैंने यह हिजाब तेरा ढूंढा हर जगह शबाब तेरा ढूंढा
कलियों से मिसाल तेरी पूछी फूलो ने जवाब तेरा ढूंढा
मैंने पूछा बाग़ से फलक हो या जमीं ऐसा फूल है कही
बाग़ ने कहा हर काली की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से

हो चाल है के मौज की रवानी जुल्फ है के रात की कहानी
होठ हैं के आईने केवल के आँख है के मयकदो  की रानी
मैंने पूछा जाम से फलक हो या जमीं ऐसी 
मय  भी है कहीजाम ने कहा महकशी की कसम नहीं नहीं नहीं
खूबसूरती जो तूने पाई लूट गयी खुदा की बस खुदाई 
मीर के गझल कहु तुझे मैं या कहु खैय्याम की रुबाईमैं जो पूछूं शायरो से ऐसा दिल नशि कोई शेर है कही
शायर कहे शायरी की कसम नहीं नहीं नहीं

Thursday, April 7, 2016

कैसे मुझे तुम मिल गयी

कैसे मुझे तुम मिल गयी किस्मत पे आये न यकीन
 उतर आई झील में जैसे चाँद उतरता है कभी
 हौले हौले
धीरे से गुनगुनी धूप की तरह से तरन्नुम मैं तुम छूके मुझे गुजारी हो यु
देखु तुम्हे या मैं सुनु
तुम हो सुकून तुम हो जूनून
 क्यों पहले न आई तुम
मैं तो यह सोचता था के आज कल उपरवाले को फुर्सत नहीं
 फिर भी तुम्हे बनाके वह मेरी नज़र में चढ़ गया रुतबे मैं वह और बढ़ गया
बदले रास्ते झरने और नदी बदले दिप की टीम टीम छेड़े ज़िन्दगी धुन कोई नयी बदली बरखा की रिमझिम

बदलेंगी ऋतुएं अदा पर मैं रहूंगी सदा उसी तरह तेरी बाहों में बहे डालके हर लम्हा हर पल

जिंदगी सितार हो गई रिम झिम मल्हार हो गई मुझे आता नहीं किस्मत पे अपनी यकीन कैसे मुझको मिल गयी तुम