Wednesday, September 25, 2013

Thursday, September 19, 2013

Sunday, September 15, 2013

Monday, September 2, 2013

first verse of Krishna Yajur Ved 1.1

ब्रह्म संधत्तं तन्मे जिन्वतम् |
क्षत्रगुं संधत्तं तन्मे जिन्वतम् | 
इषगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
ऊर्जगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
रयिगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
पुष्टिगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
प्रजागुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
पशूनत्संधत्तं तान्मे जिन्वतम् |
स्तुतोसि जन्धा:|
देवास्त्वा शुक्रपा: प्रणयन्तु ||