Saturday, February 5, 2011

from Ramdevji's blog

ज्ञापन भाग १
विश्व मे कालेधन की अर्थव्यवस्था पर काम करने वाली शीर्ष संस्थाओं, टैक्स जस्टिस नेटवर्क, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, वर्ल्डबैंक एवं वर्ल्डबैंक में से सेवा निवृत्त शीर्ष अधिकारियों एवं देश व विश्व के शीर्ष अर्थशास्त्रियों का निर्विवादित रूप से यह मानना है कि अव तक 11.5 ट्रिलियन डॉलर (भारतीय मुद्रा के अनुसार लगभाग 518 लाख करोड़ रूपये) क्रोसबोर्डर ब्लैकमनी जमा हो चुका है तथा अभी भी लगभग 1.6 ट्रिलियन डॉलर लगभग (72 लाख करोड़ रूपये) प्रतिवर्ष क्रोस बोर्डर ब्लैकमनी जमा होता है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका भारत के कुछ भ्रष्ट लोगों की है।

माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन (भाग-2)
भारत की आन्तरिक अर्थव्यवस्था में भी आजादी के बाद कालेधन की अर्थव्यवस्था का पता लगाने के लिए बनें सभी 40 आयोगों व पार्लियामेंट्री कमेटीज़ ने यह माना है कि देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 100 लाख करोड़ रुपये की, काले धन की अर्थव्यवस्था चल रही है। इसका प्रमाण देखना हो तो किसी भी तहसील में जमीन की रजिस्ट्री, रियलस्टेट व फुटकर बाजार आदि में देख सकते हैं। अर्थव्यवस्था किसी भी देश की बड़ी ताकत होती है और आर्थिक रूप से सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र ही विश्व की महाशक्ति होता है। भारत की मूलभूत विकास योजनाओं एवं सुविधाओं के लिए सवसे बड़ी आवश्यकता व बाधा धन की ही है।
ज्ञापन (भाग-3)
देश के भीतर व बाहर जमा कालाधन देश की सम्पत्ति है। देश के बाहर स्विटजरलैंण्ड सहित विश्व के लगभग 70 टैक्स हैवन देशों में जमा देश का लगभग 300 लाख करोड़ रुपये तथा देश में ही जमा लगभग 100 लाख करोड़ रुपये अर्थात कुल लगभग 400 लाख करोड़ रूपये की यह अनअकाउण्टड मनी (unaccounted money) देश के विकास मे लगनी चाहिये तथा हर दिन हो रहे भ्रष्टाचार की लूट से देश को बचाने के लिए कठोर कानून बनना चाहिये व पूरी ईमानदारी से उसे लागू करना चाहिये। भ्रष्टाचार के दोषियों को मृत्युदण्ड मिले बिना इसको हम रोक ही नहीं सकते। महामहिम राष्ट्रपति महोदया एवं माननीय प्रधानमन्त्री जी से हम समस्त भारतवासी देश के 84 करोड़ गरीबी रेखा के नीचे नारकीय जीवन जीनेवाले तड़पते, बिलखते, भूखे, अपमान की जिंदगी जी रहे दरिद्र भारतवासियों जो (अर्जुन सेनगुप्ता व भारत सरकार के भी आर्थिक सर्वेक्षणों व ग्रामीणविकास मन्त्रालय के रिपोर्ट की अनुसार) मात्र लगभग 20 रुपये में जिन्दगी बसर कर रहे हैं इन लगभग 84 करोड़ भारतीयों व समस्त भारत के सम्पूर्ण विकास के लिए हम महोदया से काले धन की अर्थव्यवस्था व भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु राष्ट्रहित में बिना किसी विलम्ब के निर्णय लेने के लिए विनम्र प्रार्थना करते हैं।
शीर्षक : ज्ञापन (भाग-4)
विचार (ब्लाग) : विदेशों में जमा देश का लगभग 300 लाख करोड़ रुपये ये मात्र टैक्स की चोरी का पैसा नहीं है। ये देश के विकास का धन है, राष्ट्रीय सम्पत्ति है। ये गरीब बच्चों की पढ़ाई, गरीब लोगों के इलाज व निर्धन लोगों के भोजन का पैसा है। ये देश की सुरक्षा, बिजली, पानी व सड़क आदि विकास योजनाओं का हेरा-फेरी करके व देश के साथ गद्दारी करके चोरी किया गया देश के गांव व गरीब लोगों के हिस्से का धन है। ये कालाधन - विधायिका, कार्यपालिका के साथ-साथ राष्ट्र के शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे कुछ भ्रष्ट लोगों द्वारा कानून, पद व अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके लूटा हुआ रिश्वत खोरी का¬¬¬ पैसा है। ये धन प्राकृतिक सम्पदाओं यथा कोयला, खनिज आदि व राष्ट्र की बेशकीमती जमीनों आदि का है, जो करोड़ो रुपये की है उनको कोड़ियो के भाव बेचकर व अवैध खनन करके जमा किया हुआ धन है। इसमें से कुछ पैसा टैक्स न जमा करके सीधा विदेशों में जमा किया हुआ धन भी है जो कि बहुत कम है। अधिकांश धन इसमें देश के साथ गद्दारी, धोखा व छल करके लूटा हुआ है।
ज्ञापन (भाग-5)
विचार (ब्लाग) : विदेशों में जमा देश का ये धन तुरन्त देश में आना चाहिये और क्योंकि भारत के संविधान में लोकतान्त्रिक प्रणाली में देश के बाहर व भीतर जमा कालेधन की अर्थव्यवस्था को समाप्त करने का एकमात्र अधिकार केन्द्र सरकार को दिया हुआ है और देश के ईमानदार माननीय प्रधानमन्त्री जी से हम यह अपेक्षा करते हैं कि वह बेईमानी करके लूटा हुआ देश का धन देश में अवश्य लायेंगे। यदि आप इस नेक कार्य को करते हैं तो ये देश सदा-सदा के लिए आपको राष्ट्रनायक के रुप में याद करेगा, आपका कृतज्ञ रहेगा अन्यथा देश आपकी ईमानदारी व जिम्मेदारी पर हमेशा शक करेगा। क्योंकि पाप को करना जितना अपराध है, पाप व भ्रष्टाचार को सहना एवं संरक्षण देना भी महापाप है। इस कार्य में देरी का मतलब होगा चोरों को बचाना व भ्रष्ट लोगों का साथ देना।
ज्ञापन (भाग-6)
विचार (ब्लाग) : (माननीय प्रधानमन्त्री महोदय) महोदय देश में जमा कालेधन की अर्थव्यवस्था को समाप्त करने के लिए आप स्वयं भी इस बात से सहमत हैं कि बड़े नोट 100 रूपये, 500 रूपये व 1000 रूपये के नोट तुरन्त बन्द होने चाहियें तथा जिन लोगों के पास बिना टैक्स दिया हुआ मेहनत व ईमानदारी का पैसा है उनके लिए इन्कम टैक्स की कोई सरल योजना बना देनी चाहिए जिससे कि वे एक निर्धारित टैक्स जमा करके अपनी पूँजी को व्हाइट कर सकें। शेष बड़े नोटों को कैन्सिल कर दीजिये अर्थात् बड़े नोटो को भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रचलन से बाहर कर दीजिये। कालाधन, काले धन्धे (चुनाव में पैसे का दुरुपयोग, जमाखोरी, मंहगाई, सट्टाबाजी आदि) नकली करेन्सी, आतंकवाद व रिश्वतखोरी व आर्थिक भ्रष्टाचार एकसाथ 5 बड़ी समस्याएं तो खत्म होंगी ही साथ ही देश के विकास के लिए सरकार को लाखों करोड़ रुपये मिलेगा और भारत की गरीबी दूर हो जायेगी। इस कार्य को करने में तो किसी दूसरे देश से संधि भी नही करनी है। धन लाने के इस कार्य में तो राजनैतिक दृढ़ इच्छा शक्ति व राष्ट्र के प्रति वफादारी की जरुरत है
ज्ञापन (भाग-7)
विचार (ब्लाग) : कालेधन की अर्थव्यवस्था को दुनिया से समाप्त करने के लिए यूनाइटेड नेशन्स के कन्वेंशन अगेन्स्ट क्रप्शन (UNITED NATIONS CONVENTION AGAINST CORRUPTION) में 140 देशों द्वारा पारित प्रस्ताव जो वर्ष 2005 से लम्बित पड़ा है जिस पर 126 देशों ने तथा काले धन के सबसे बड़े ठिकाने वाले देश स्विटजरलैण्ड ने भी 2009 मे अपने देश की संसद में प्रस्ताव का अनुमोदन करके भेज दिया है तो फिर भारत सरकार उस प्रस्ताव को कैबिनेंट से पारित करके क्यों नहीं भेज रही है? इस प्रस्ताव से बिश्व संधि करने वाले इन 140 देशों में से जहाँ जहाँ भी भारत का कालाधन जमा है वहाँ-वहाँ से कालाधन हम आसानी से (उन देशों से) अपने देश में ला सकेगें और सारी कानूनन बाधाएं स्वतः दूर हो जायेंगी। अतः सरकार तुरन्त इस दिशा में कार्यवाही करे और संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रस्ताव को कैबिनेट से पारित करके तुरन्त यू एन (UN) को भेजे।