Sunday, June 20, 2010

भारत स्वाभिमान आंदोलन का एजेंडा या लक्ष्य

हम अंग्रेजों के शासन काल से चली आ रही भ्रष्ट नीतियों व कुटिल व्यवस्थाओं को समाप्त करके
शासन, सत्ता व व्यवस्था, सत्यनिष्ठ, ईमानदारी, पराक्रमी व देशभक्त लोगों के हाथों में सौंपना
चाहते है।

हम भ्रष्टाचार को पूरी तरह से समाप्त करके लोकतन्त्र के नाम पर चल रहे लूटतन्त्र, शोषण,
अन्याय व अव्यवस्था का अन्त करके सच्चा स्वाराज्य या आजादी लाना चाहते हैं। आज
अधिकांश सरकारी कार्यालय, सरकारी विभाग व स्वयं सरकारे कहीं न कहीं लूट के अड्डों के
रूप में तब्दील हो चुकी हैं।

इस लूट को मिटाना है व भारत को बचाना है। इस भ्रष्टाचार के चलते ही आजादी के 63 बर्ष
बाद भी आज रोटी, कपड़ा, मकान, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा जैसी मूलभूत
सुविधाएं हम अपने देश के नागरिकों को उपलब्ध नहीं करा पाये हैंहम देश में खेती के लिए उपलब्ध लगभग 50 करोड़ एकड़ भूमि व भूमिगत प्राकृतिक सम्पदा
का ठीक से उपयोग करके कृषि क्रान्ति के एक नए युग को शुरू करना चाहते हैं।

हम हर खेत को पानी व 24 घण्टे बिजली उपलब्ध कराके इस 50 करोड़ एकड़ भूमि से
प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख करोड़ का उत्पादन लेकर देश में आर्थिक समृद्धि का एक नया
दौर लाना चाहते हैं।
खेत का पानी खेत में और गाँव का पानी गाँव में, देश का पानी देश में प्रयोग करने के लिए
वर्षा जल संरक्षण व नदियों को जोड़ने के अभियान जैसे कार्य करके हम भारत से गाँव की
गरीबी, भूख व अभाव को समाप्त करके देश के अन्नदाता किसान, देश के निर्माता मजदूर व
कारीगरों की जिंदगी में समृद्धि, स्वाभिमान व आत्मसम्मान का भाव पैदा करना चाहते हैं।

इस अभिनव कृषि क्रान्ति से जहाँ एक ओर हमारा देश खाद्यान, खाद्य तेल व दालों आदि
में आत्म-निर्भर बनेगा और देश के लगभग 40 करोड़ लोग जो भूख व कुपोषण के शिकार
है उनको हम पुरा पोषण दे पायेंगे साथ ही विश्व के लगभग 300 करोड़ भूख व कुपोषण दे
शिकार लोगों के लिये भी हम देश में अन्न उत्पन्न कर सकेंगे।

हम भिन्न-भिन्न जाति, मजहब, आयु व आयुवर्ग के 50 करोड़ से अधिक लोगों के सौ करोड़
से अधिक हाथों को काम में लगाकर नई औद्योगिक व आर्थिक क्रान्ति को जन्म देना चाहते हैं।

जब सौ करोड़ से अधिक हाथ इस देश के निर्माण में लग जायेंगे तो हम 100 लाख करोड़ से
अधिक का उत्पादन करके अपने देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ विश्व की जरूरतों
को पूरा करने के लिए 100 लाख करोड़ से अधिक का निर्यात भी करके भारत को विश्व की आर्थिक
महाशक्ति के रूप में खड़ा करेंगे

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