Friday, January 24, 2014

गगन यह समझे चांद सुखी है -

गगन यह समझे चांद सुखी है, चंदा कहे सितारे।गगन यह समझे चांद सुखी है, चंदा कहे सितारे।
       दरियां की लहरे यह समझे, हमसे सुखी किनारे।
       ओ साथी, दुख में ही सुख है छिपा रे...ओ साथी, 
       दुख में ही सुख है छिपा रे...भैय्या रे, साथी रे, भैय्या रे, ओ साथी रे..
       दूर के पर्बत दूर ही रहकर लगते सबको सुहाने,
       पास अगर जाकर देखे तो पत्थर की चट्टाने।
       दूर के पर्बत दूर ही रहकर लगते सबको सुहाने,
      पास अगर जाकर देखे तो पत्थर की चट्टाने।
      कलियां समझे चमन सुखी है, चमन कहे बहारें।
      ओ साथी, दुख में ही सुख है छिपा रे...ओ साथी, 
      दुख में ही सुख है छिपा रे...भैय्या रे, साथी रे, भैय्या रे, ओ साथी रे..
     रात अंधेरी, रात अंधेरी सोचे मनमें है दिन में उजियारां,
     दिन की गर्मी सोच रही है शीतल अंधियारां।
     ओ साथी है शीतल अंधियारां......रात अंधेरी सोचे मनमें है दिन में उजियारां,
     दिन की गर्मी सोच रही है शीतल अंधियारां। ओ साथी है शीतल अंधियारां......
     पतझड समझे सुखी है सावन, सावन कहे अंगारें। ओ साथी, दुख में ही सुख है छिपा रे...
      ओ साथी......
































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