Monday, December 2, 2013

शिवोहम, शिवोहम, शिवोहम, शिवोहम

मनो बुध्यहंकार चिता निनाहम,
न च श्रोत्र जिह्वे न च ग्राना नेत्रे,
न च व्योमा भूमि न तेजो न वायुह,
चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)

न च प्राण संग्नो न वै पंच वायुह,
न वा सप्त धातु न व पंच कोशः,
न वाक पानी पदम् न चोपस्ता पयुह ,
चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)

न में द्वेष राघोऊ न में लोभ मोह,
माधो नैव में नैव मात्सर्य भवः,
न धर्मो न च अर्थ न कामो न मोक्ष,
चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुखम,
न मंत्रो न तीर्थं न वेदा न यग्न,
अहम् भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता,
चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)

न मृत्यु न शंका न में जाती भेदो,
पीता नैव में नैव माता न जन्मो,
न बंधु न मित्रं गुरुर नैव सिश्यो,
चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)

अहम् नीर्वी कल्पो निराकार रूपों,
विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेंद्रियानाम,
न च संगतम नैव मुक्ति न मेयः
चिदानंद रूपह शिवोहम, शिवोहम (२)

शिवोहम शिवोहम...आदि शंकराचार्य द्वारा रचित पद पं जसराज की आवाज में

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