ब्रह्म संधत्तं तन्मे जिन्वतम् |
क्षत्रगुं संधत्तं तन्मे जिन्वतम् |
इषगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
ऊर्जगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
रयिगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
पुष्टिगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
प्रजागुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
पशूनत्संधत्तं तान्मे जिन्वतम् |
स्तुतोसि जन्धा:|
देवास्त्वा शुक्रपा: प्रणयन्तु ||
क्षत्रगुं संधत्तं तन्मे जिन्वतम् |
इषगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
ऊर्जगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
रयिगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
पुष्टिगुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
प्रजागुं संधत्तं तां मे जिन्वतम् |
पशूनत्संधत्तं तान्मे जिन्वतम् |
स्तुतोसि जन्धा:|
देवास्त्वा शुक्रपा: प्रणयन्तु ||
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