Wednesday, March 20, 2013

IMP quotes shlocks in sanskrit ~II

अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम् 
      उदारचरितानां  तु  वसुधैव  कुटुम्बकम् 
यह अपना है या यह पराया हैयह विचार छोटे मन वालों का है ।
 उदार चरित्र वालों के लिए तो सारी पृथ्वी ही कुटुम्ब है।

 भर्तृहरि ने कहा है कि
 
संगीत साहित्य कला विहीना:। साक्षात पशु पुच्छ विषाण हीना:।
तस्माद्धर्मप्रधानेन भवितव्यं यतात्मना । तथा च सर्वभूतेषु वर्तितव्यं यथात्मनि
-Mahābhārata Shānti-Parva 167:9

Hence, (keeping these in mind), by self-control and by making dharma (right conduct) your main focus, treat others as you treat yourself." -Vidura says to the king Yuddhishthira
जीवनोपयोगी सूक्तियाँ

विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्। पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥  "Knowledge gives humility, from humility, one attains character;
 From character, one acquires wealth; from wealth good deeds (righteousness) follow and then happiness" 

सत्यं ब्रूया त्प्रियं ब्रूया न्नब्रूया त्सत्य मप्रियं |प्रियं च नानृतं ब्रूया देष धर्म स्सनातनः || Speak Truth. Speak that truth in a pleasing manner. Never lie even it is pleasing to others. This is Sanaatana Dharma बाहुवीर्यबलं राज्ञो ब्राह्मणो ब्रह्मविद् बली।
रूप-यौवन-माधुर्यं स्त्रीणां बलमनुत्तमम्।।

किसी भी राजा की शक्ति उसका स्वयं का बाहुबल है। ब्राह्मणों की ताकत उनका ज्ञान होता है।
 स्त्रियों की ताकत उनका सौंदर्य, यौवन और उनकी मीठी वाणी होती है।
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आचार्य चाणक्य

अहिंसा  प्रतिस्थयम  तत  सन्निधौ  वैर त्यागः Patanjali Yoga Sutras 2.35The person who dwells in Ahimsa (non-violence) is protected by Nature itself


Monday, March 18, 2013

IMP quotes shlocks in sanskrit ~I

9.22.अनन्याश्र्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् || २२ || वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् शब्द कल्पद्रुम में मन्त्र है "हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:" हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है सुखस्य मूलं धर्म: धर्मस्य मूलं अर्थ: अर्थस्य मूलं राज्स्य राज्स्य मूलं इन्द्रियजय ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं | उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात् || ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति! नर्मदे! सिन्धु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।। धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नोधर्मोहतोऽवधीत्। ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते |
 - ईश उपनिषद !

अहिंसा परमो धर्मः  धर्म हिंसा तथीव च Ahimsa Paramo Dharma Dharma himsa tathaiva cha*Non-violence is the ultimate dharma. So too is violence in service of Dharma.
सर्वे   भवन्तु   सुखिन:   सर्वे   सन्तु  निरामया: 
           सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् 
सभी सुखी होंसभी निरोगी होंसभी को शुभ दर्शन हों और कोई दु:ख से ग्रसित न हो 

Everyone should be happy and healthy, everyone should be free from the greed, everyone should be preaching the harmonic living and no one should suffer from misery or diseases.

some IMP site links

Rahul and Sonia Gandhi's Citizenship Status

Must read lengthy piece on Rahul Gandhi's youth congress experiments

हमारे सपनों का भारत

आर्थिक आजादी से व्यवस्था परिवर्तन

काले धन का पूरा सच

Check out It is far more reliable than anything you will obtain from media sources.
CASH Money The Key Facilitator Of All Corruptions
 If US farmers so good why US$20 billion in subsidies? If US retail so great why US do consumers pay such high prices?

worth visiting स्वातंत्र्य वीर सावरकर पर डा. वेड प्रताप (cont)
Secretary General: Manmohan SINGH (India) of south commission


Male Circumcision and Sexual Enjoyment of the Female Partner

ArthaKranti | Arthakranti


http://www.rupe-india.org/43/ghosh.html  The Transfer of Power: Real or Formal?hindus never defeated completely

Monday, March 11, 2013

कबीर के दोहे -4

37)  साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय॥

38) झूठे गुर के पक्ष को, तजत न कीजे बार , ज्ञान न पावै सबद का, भटके बारंबार 39) उत्तम विद्या लीजिये जदपि नीच पे होय। परो अपावन ठौर में कंचन तजत न कोय।। 40) हिन्दू कहे राम मोहि प्यारा, तुरक कहे रहिमाना आपस में दोउ लरि लरि मुए, मरम न कोई जाना। 41) चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह । जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह 42) कंकर पत्थर जोरि के मस्जिद लयी बनाय। ता चढ़ि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय।। 43) साधू ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय | सार सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय। 44) तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय, कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय। 45) ऊंचे पानी न टिकै, नीचे ही ठहराय नीचा है सो भर पिए, ऊंचा प्यासा जाय 46) जग में बैरी कोउ नहीं, जो मन सीतल होय | इस आपा को डारि दे, दया कर सब कोय
47) कबीर कुतिया राम की मोतिया मेरो नाम
गले राम की जेवड़ी जित खिचे तित जाऊ

48) कबीर  कुत्ता मे  राम का  मोति मेरा  नाम
 गले राम की जेवड़ी जित खिचे तित जाऊ

sharnagati complete surrender  to almighty 


49)कबीर मन निर्मल भया जैसे गंगा नीर

 पीछे पीछे हरि फिरै कहत कबीर कबीर

Saturday, March 9, 2013

मीराबाई के भजन II


पायो जी मेनें,  नाम रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी  की मेरे सदगुरु 
किरपा कर अपणायों
पायो जी मेनें, 
 नाम रतन धन पायो
जनम जनम की पु्ंजी पाई
जग में सबै खोबायो
खरचे नहीं, कोई चोर न लेवै
दिन दिन बढ़त सवायौ
पायो जी मेनें,
 नाम  रतन धन पायो
सत की नाव, खेवटिया सदगुरु 
भव सागर तरि आयौ
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
हरिख हरिख जस गायौ
पायो जी मेनें, 
 नाम रतन धन पायो

Tuesday, March 5, 2013

मीराबाई -I


मोरी लागी लटक गुरु चरणकी॥ध्रु०॥

चरन बिना मुज कछु नही भावे। झूंठ माया सब सपनकी॥१॥

भवसागर सब सुख गयी है। फिकीर नही मुज तरुणोनकी॥२॥

मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। उलट भयी मोरे नयननकी॥३॥

Monday, March 4, 2013

Chanakya Sutra



Chanakya Sutra
 has 572 sutras. These are the first 10 sutras from Chanakya Sutra:
1. Sukhasya moolam Dharmah
Meaning – The basis of “sukha” or all true pleasantness  is “dharma” or righteous conduct.
2. Dharmasya moolam Arthah
Meaning- The basis of all “dharma” is “artha” or wealth.
3. Arthasya moolam Rajyam
Meaning – The basis of all “artha” is “rajya” or the State.
4.  Rajyasya moolam Indriya Jayah
Meaning – The basis for the stability of the State lies in control over the “indriya“ or sense faculties providing pleasure.
5.  Indriyajayasya moolam Vinayah
Meaning – The basis for control over the sensual faculties is in “vinay” or humility.
6. Vinayasya moolam Vruddhopasevah
Meaning – The basis for humility is devotion to those grown old through wisdom.
7. Vruddhopasevaya Vijnanam
Meaning – Through devotion to the wise, one attains proficiency with the maximum efficiency.
8. Vijnanena atmaanam Sampadyet
Meaning – It is imperative for all the functionaries of the State to perform their duties with the maximum efficiency.
9. Samapaditatma jitatmama Bhavati
Meaning – To perform State duties with the maximum efficiency, the functionaries of the State must learn to control their sensual needs, and maximize their internal potential.
10. Jitatma sarvarthe Sanyujyate
Meaning – Those who have vanquished their baser selves will become prosperous naturally, can retain their prosperity, and (will) be successful in their endeavors.
सुखस्य मूलं धर्मः , धर्मस्य  मूलं  अर्थः
अर्थस्य  मूलं  राज्यं  , राज्यस्य मूलं  इन्द्रिय  जयः
इन्द्रियाजयस्य  मूलं  विनयः, विनयस्य मूलं  वृद्धोपसेवः
वृद्धोपसेवाय  विग्न्यानं , विग्न्यानेनं आत्मानं  सम्पद्येत
समपदितात्म जितात्मम  भवति, जितात्मा  सर्वार्थे  संयुज्यते